जन्म: 22 अप्रैल 1934 मृत्यु : 28 जुलाई 2020 अभ...
जन्म: 22 अप्रैल 1934 मृत्यु : 28
जुलाई 2020
अभिनेत्री कुमकुम का 86 वर्ष की उम्र में यहां निधन हो गया। उन्होंने आरपार,
सीआईडी, कोहिनूर, मदर इंडिया, नया दौर, श्रीमान फंटूश, गंगा की लहरें, राजा और
रंक, आंखें जैसी हिट फिल्मों में काम किया। उन पर फिल्माए गीत कभी आर, कभी पार,
मधुबन में राधिका नाचे रे, काफी लोकप्रिय रहे।
(अभिनेत्री कुमकुम हिन्दी फिल्मों के अलावा भोजपुरी की एक लोकप्रिय
अभिनेत्री थीं जिन्हें लोगों ने कई फिल्मों में अभिनय करते देखा। इनसे
संबंधित एक लेख जो एक पुस्तक में मिली है उसे आप लोगों से शेयर कर रहा हूं।
चूंकि पुस्तक के कॉपीराइट के तहत मैंने इसे पूरी तरह उसे ही लिया है। नीचे
पुस्तक के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। पाठक इसे उस पुस्तक से
अवश्य पढ़ लें।)
सन 1965 में निर्मित हुई गंगा और भौजी ने भोजपुरी सिनेमा को पहली महिला
निर्मात्री दी। वह निर्मात्री कोई और नहीं बल्कि पहली भोजपुरी फिल्म की मुख्य
नायिका कुमकुम थीं। विदित हो कि गंगा मइया.... में अभिनय करने के पूर्व कुमकुम को
भोजपुरी नहीं आती थी। उतनी ही नहीं, वे भोजपुरी में काम करना भी नहीं चाहती थीं,
उन्हें राजी करने में नजीर साहब के परम मित्र व हास्य अभिनेता महमूद का बड़ा
योगदान रहा था। उन्होंने जब हामी भरी तो उनके भोजपुरी गुरु नजीर हुसैन बने। एक
रोचक तथ्य यह भी है कि जब नजीर साहब कुमकुम के पास गंगा मइया...भोजपुरी में अभिनय
करने का प्रस्ताव लेकर गए थे, तब कुमकुम तकदीर, मदर इंडिया, सन ऑफ इंडिया जैसी
फिल्मों के फिल्मकार महबूब खान के साथ अनुबंधित थीं। सो उनके लिए गंगा मइया में
अभिनय करने के बीच एक कानूनी बाधा भी थी। परंतु नजीर हुसैन ने महबूब खान को मना
लिया और उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, इस आशय एक लिखित पत्र निर्गत करवाया। बाद में
कुमकुम ने न केवल गंगा मईया, लागी नहीं छूटे रामा, गंगा, भौजी सरीखी भोजपुरी
फिल्मों में अभिनय किया, बल्कि भोजपुरी में उन्होंने भी गंगा नाम से ही फिल्म
निर्माण की शुरुआत की।
कुमकुम मूलत: बिहार के तत्कालीन मुंगेर जिला अंतर्गत मगही क्षेत्र हुसैनाबाद, बरबीघा (अब जिला शेखपुरा) की रहने वाली थीं। उनका वास्तविक नाम जईबुन निसा था। पिता मंजूर हसन खान हुसैनाबाद रियासत के नवाब थे। माता खुर्शीद बानो कला-प्रेमी एवं गृहणी थीं। उनकी पढ़ाई लिखाई घरेलू, पर पंडित शंभू महाराज लखनऊ घराना से उन्होंने शास्त्रीय नृत्य कत्थक की विधिवत शिक्षा हासिल की। कुमकुम पहली बार रुपहले पर्दे पर गुरुदत्त की आर-पार 1954 के एक मशहूर गीत कभी आर कभी पार लागा तीरे नजर में अवतरित हुई थीं। उसके बाद आंसू 1953, मिर्जा गालिब 1954, नूर महल 1960 हातिमताई की बेटी 1955 हसीना 1955, मेम साहिब 1956, मदर इंडिया 1957, प्यासा 1957, घर संसार 1958, मधु 1959, कोहिनूर 1960, शान ए हिंद 1960, सन ऑफ इंडिया 1962, आंखें 1968, सहित लगभग 120 हिंदी फिल्मों में अभिनय के माध्यम से लगभग 20 वर्षों तक लगातार सिने जगत में सक्रिय रहीं। उनकी अंतिम फिल्म रामानंद सागर की जलते बदन 1974 थी। सन 1975 में लखनऊ निवासी सज्जाद खान से शादी करने के बाद पूरी तरह से फिल्मों से दूरी बना लीं।
लेखक : रविराज पटेल
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन
आईएसबीएन : 9351862038, 9789351862031
कुल पृष्ठ : 192
विषय
: आर्ट्स, एनिमेशन
ليست هناك تعليقات
إرسال تعليق