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Poem ( Sad ) रंग भर दो मेरे कोरे कागज़ पे तुम Rang Bhar do Mere kagaj Pe tum

रंग भर दो मेरे रंग भर दो मेरे  कोरे कागज़ पे तुम अब तलक तक सूनी की सुनी रह गयी । रंग भर दो मेरे कोरे कागज़ पे तुम अब तलक तक  सुनी की ...

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रंग भर दो मेरे


रंग भर दो मेरे 

कोरे कागज़ पे तुम

अब तलक तक

सूनी की सुनी रह गयी ।

रंग भर दो मेरे

कोरे कागज़ पे तुम

अब तलक तक 

सुनी की सूनी रह गयी ।।


आके अब थाम लो

मेरे हाथों को तुम

मेरी मेहँदी

रची की रची रह गयी ।।


माँग भरने की थी

मांग कब से मेरी

मैं अभागन

बनी की बनी रह गयी

रजनीश कर्ण (नई दिल्ली)



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