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फिल्म रिव्यू (Film Review): विक्रांत रोणा Vikrant Rona ( Hindi Dubbed)

यह एक रहस्य थ्रिलर फिल्म है। इसमें एक छोटी सी गलती और अपमान का बदला लेने की कहानी है जिसे उससे संबंधित व्यक्ति को चुकानी पड़ती है।   विक्र...



यह एक रहस्य थ्रिलर फिल्म है। इसमें एक छोटी सी गलती और अपमान का बदला लेने की कहानी है जिसे उससे संबंधित व्यक्ति को चुकानी पड़ती है। 

विक्रांत रोणा (किच्चा सुदीप), संजू (निरुप भंडारी) , पन्ना (नीता अशोक), गदांग रकम्मा (जैकलीन फर्नांडीस), रेनू (मिलाना नागराज), मुन्ना (सिद्धू मूलीमणि) , फकरु (कार्तिक राव), जनार्दन गांभीर (मधुसूदन राव), गुड्‌डी (संहिता), फोटोग्राफर (अनूप भंडारी), एकनाथ (रमेश कुक्कुवल्ली), पिंटो (वज्रधीर जैन), भाविकट्टी (रंजन शेट्‌टी), शक्कू (प्रिया वी), विश्वनाथ (रविशंकर गौड़ा), बेबी ( चितकला बिरादर), मूस कुन्नी (दुष्यंत राय), मंचे गौड़ा (विश्वा) महाबला (राम्म) बालू (वासुकी वैभव) पोडियाज्जा (वेलीयप्पन) निट्‌टोनी (योगिश शेट़्टी) गुरबी (गीता) राघव (आतिश) माधव ( श्रेयास) छोटा संजू (अचिंत्य) छोटा रोणा (आदित्य) रपीक (निखित) बुल्ली बॉयज (सुधीर हब्री) मैला ( योगिश कोटियन) बालू डैड ( शंकर नारायण)


फिल्म में कहानी की शुरुआत


फिल्म शुरु होती है एक सुनसान व अंधेरी पहाड़ी रास्ते पर जा रहे कार से। जिसमें एक मां और एक बेटी है। दोनों आपस में बात करते जा रहे हैं कि तभी गाड़ी के आगे कुछ तेज धमाका होता है। जिसे कार रूक जाती है। गाड़ी चला रही एक मां रुककर देने जाती है। टॉर्च की लाइट में उसे कुछ अजीब सा लगता है। एक भयानक सा चेहना दिखता है। वह लौटकर कार में आती है तो अपनी बेटी को सही सलामत पाती है। लेकिन कार की चाबी सड़क पर ही छूट जाती है। वह अपनी बेटी का ठीक से रहने को बोलकर चाबी लेने जाती और जब वापस आकर कार स्टार्ट करती है तो बेटी को अपनी सीट से गायब पाती है। और फिर वह भी गुमनाम हो जाती है।


 

नए कलाकारों की एंट्री और रहस्य


इसके बाद एक दूसरी दृश्य में कार में कुछ लोग यात्रा कर रहे होते हैं जो कमरट्‌टू नाम गांव जा रहे हैं। रास्ते में हंसी मजाक के बाद किसी तरह वह परिवार गांव पहुंचता है। इस परिवार का मुखिया विश्वनाथ बल्लाल है। वह अपनी बेटी की शादी गांव से ही करना चाहता है इसलिए शादी की बात फाइनल कर गांव में अपने पुरखों के घर आया है। उसके साथ उसकी पत्नी, बेटी अपर्णा, बेटा मूलचंद्रा(मुन्ना) है। उसके दादा के घर चाचा का भाई एकनाथ गांभीर उससे बात करते हैं। चाचा जनार्दन गांभीर से बात करने पर सारी बात बताता है और कहता है कि शादी अपने ही घर से करेंगे। इस बात पर दोनों में बहस होती है और अंत में फैसला होता है कि पहले पूजा पाठ की जाए फिर शादी होगी। जनार्दन और उसकी पत्नी के बीच बातचीत नहीं होती है इस बात को लेकर विश्वनाथ की पत्नी प्रश्न करता है तो पता चता है कि जनार्दन का बेटा बचपन में मंदिर के गहने चुराकर लाया था जिससे दुखी होकर जनार्दन ने उसे खूब पीटा जिसके वजह से वह गांव छोड़कर चला गया जो अब तक नहीं आया। इसी बात से पति पत्नी में बातचीत बंद है। कुछ देर बात एक डाकिया डाक लेकर आता है जिसमें टेलीग्राम है कि संजू यानि जनार्दन का भागा हुआ बेटा लंदन से आ रहा है।  फिर संजू की रास्ते कार ड्राइवर फकरु और पीटी मास्टर लारेंस पिंटो से होती है। संजू घर आता है तो कोई नहीं होते। पता चलता है कि विश्वनाथ के घर पूजापाठ के कारण सभी लोग उधर ही गए हैं। फिर वह फकरु को चलने को कहता है तो फकरु कहता है कि कार से जाएंगे तो दो घंटे लगेंगे। एक कच्ची सड़क से जाएंगे तो 15 मिनट में पहुंच जाएंगे। लेकिन इस रास्ते से जो भी गया वह बचकर वापस नहीं आ पाया।  संजू उसी रास्ते जाकर देव मंदिर के पास पहुंचता है जहां उसे अपर्णा से मुलाकात होती है। दोनों एक दूसरे का परिचय देते हैं और पास ही कुएं के पास जाते हैं। क्योंकि वहां मशाल जल रही होती है। कुएं में एक लाश लटकी मिलती है। सुबह पंचायत में यह बात होती है कि मंदिर से चोरी हुए सोने की वजह से ये हत्याएं हो रही हैं। इसलिए सबसे पहले विश्वनाथ के घर में पूजापाठ होनी जरूरी है। पूजा पाठ के समय एक महिला जिसे लोग पागल कहते हैं कहती है कि अब खून की होली खेली जाएगी। 


मुख्य पात्र की एंट्री और रहस्य की खोज


इसके बाद अब तीसरे मुख्य पात्र की इंट्री होती है। समुद्र में नाव में गांव का नया इंस्पेक्टर विक्रांत रोणा है जो नाव में बैठे गुंडों को पीटकर कमरटटू गांव पहुंचता है।  उसके साथ उसकी बेटी भी होती है। रास्ते में उसी जगह पर उसके जीप का टायर पंक्चर हो जाता है। फिर बेटी को जंगल के रास्ते वह जाता है। एक जगह पर उसे कुछ लोग अलाव जलाकर नृत्य करते दिखते हैं। किसी तरह वह पुलिस चौकी पहुंचता है। सुबह में कांस्टेबल मन्ना तावड़े उससे हालचाल पूछता है। इंस्पेक्टर गाड़ी का लाने के लिए बोलता है। फिर बुलेट पर बैठकर गांव देखने जाता है। जहां उसकी मुलाकात जनार्दन गांभीर से होती है। दोनों में परिचय होता है। विक्रांत को जनार्दन ही सबसे ज्यादा शंकित व्यक्ति नजर आता है। फिर विक्रांत उस कुएं के पास जाता है जहां पुलिस इंस्पेक्टर की लाश मिली थी। कुएं के अंदर जाने के लिए वह संजू और फकरु की मदद लेता है। कुएं में उसे इंस्पेक्टर की पॉकेट मिलती है। फिर इसी तहकीकात के लिए वह अपने जीप के पास जाता है जो पंक्चर हो जाती है। वहां पर कुछ अंदर की तरफ उसे धुआं उठता दीखता है। जहां जाने पर उसपर हमला हेाता है। गुंडों को पीटने के दौराने वह नाले से आगे निकलता है तो गोली से उस पर वार किया जाता है। किसी तरह बचकर निकलता है तो कुछ दूरी पर पुराने इंस्पेक्टर के जूते और नेम प्लेट मिलती है। मशाल की लाइट में उसे एक लड़की की लाश भी लटकती मिलती है। वह गांव की ही है जिसका नाम वात्सल्या था। इसकी जानकारी के लिए स्कूल के हेडमास्टर लॉरेंस पिंटो से मिलता है। जहां उसे उसके भाई के बारे में पता चलता जो एक पेंटर और साहित्यकार है।


रहस्य और गहराता जा रहा


उसी रात को अपर्णा घर में किताब पढ़ रही होती है जिसको कुछ अजीब आवाजें सुनाई देती है। वह अपनी मां के कमरे में जाती है जगाने के लिए लेकिन गहरी नींद के कारण वह उठती नहीं है। अपर्णा अकेली ही नीचे तहखाने में जाती है जहां एक डरावनी औरत एक तरफ इशारा करती है। जब वह दूसरी बार उस औरत को देखती है तो वह गायब मिलती है। एक बाक्स में इंस्पेक्टर की कटी हुई सिर मिलती है। दूसरे दिन जनार्दन सभी को कमरटटू का घर छोड़कर अपने घर शिफ्ट होने को बोलता है। वहां पर इंस्पेक्टर विक्रांत मौजूद रहता है। वह बोलता है कि अब मैं इस घर में रहूंगा। थाने में प्रजापति और तांबरे से बातचीत में उसे मुसा खान का नाम पता चलता है। एक बार का भी पता चलता है जो गांव के बॉर्डर के पास स्थित होता है। उसकी मालिकन राकेलडी कोस्टा होती है जिसे लोग गनेंद्र रकम्मा बुलाते हैं। वह बार पर पहुंचकर रकम्मा से मुसा खान के बारे में पता करता है। बॉर्डर चेकपोस्ट पर गार्ड बालू नाम का लड़का मिलता है। वह इंस्पेक्टर को मुसा मिलवाता है। दोनों में एक दूसरे से चैलेंज और झड़प सी होती है। वहां से निकलकर इंस्पेक्टर संजू और अपर्णा के पास जाता है जहां संजू सबसे हाथ आजमाइश कर रहा होता है। इंस्पेक्टर उसे हरा देता है। संजू और अपर्णा एक दूसरे को चाहते हैं यह बात इंस्पेक्टर जान जाता है और वहां एक गाना होता है। इंस्पेक्टर के जाने के बाद अपर्णा और उसका भाई मुन्ना दोनों अकेले घर की तरफ जाते हैं। रास्ते में वे वही नृत्य करते हुए एक आदमी मिलता है। दोनों डरकर भागते हैं तो रास्ते में बालू की लाश लटकती मिलती है। जिसकी सूचना इंस्पेक्टर को दी जाती है। सुबह वह तहकीकात करने पहुंचता है। 


पुरानी बातों की पड़ताल और रहस्य


अपर्णा और संजू इस मामले में बात करने के लिए कमरटटू वाले घर जाते हैं जहां तहखाने में एक फोटो लैब मिलती है। जहां सभी के फोटो लगे होते हैं। जिसमें संजू और अपर्णा भी हैं। इस बारे में गांव के एक बुजुर्ग से मिलने दोनों जाते हैं। देवू के लड़के के बारे में पूछताछ करने पर बुजुर्ग बताता है कि भूतनाथ मंदिर की देखभाल निटोनी नामक एक व्यक्ति करता था। उसकी पत्नी गुरवी, मां दैयू, बेटे माधव-राघव और एक बेटी थी। एक दिन मास्टर जानकीराम ने उसके बच्चों को स्कूल भेजने कहा। दोनों गए तो वहां उन्हें अछूत कहकर बड़े घरों के बच्चे प्रताड़ित करते थे। एक दिन बड़े घरों के बच्चों के बहकावे में आकर संजू मंदिर से गहने चुराकर भाग गया। और इल्जाम निटटोनी के बच्चों पर लगा दिया गया। गांव वाले उनको पीटकर घर में आग लगा दिया। इससे बचकर बच्चे भागे लेकिन लड़कों ने माधव को पकड़कर उसके दांत उखाड़ दिए। छोटी बेटी को कुएं में गिरा दिया जिससे उसकी मौत हो गई। इस सबसे सभी घर के लोगों ने आत्महत्या कर लिया और चिटटी छोड़ दी कि सबके वंश का खात्मा होगा। 


गलत काम करने वालों को सजा और रहस्य


इंस्पेक्टर विक्रांत मुसा खान के अड्‌डे पर आकर उसका खात्मा करता है। फिर मुसा खान को पकड़कर उसे मार देता है। सुबह में यह हत्या ब्रह्मराक्षर के ऊपर जाता है। एक बार फिर संजू से इंस्पेक्टर हाथापाई करता है। वहां संजू अपना असली राज बताता है कि वह संजू नहीं है। संजू उसका रुम मेट था लेकिन एक एक्सीडेंट में उसकी मृत्यु हो गई। संजू की मां को कैंसर यह जानकार संजू बनकर वह यहां आया। यह बात जनार्दन गांभीर सुन लेता है और उसे अपना संजू बेटा बनाकर पत्नी के पास ले जाता है। इसी बीच इंस्पेक्टर पर रात के समय चाकू फेंककर हमला किया जाता है। वह उसका पीछा करता है तो मुसा खान के अड़डे पर कोई जाता हुआ दिखाई देता है। दूसरी सुबह अपर्णा का होने वाला पति मिलता है। संजू उसको देखकर दुखी होता है। संजू अपर्णा से इस बारे में दुख भी व्यक्त करता है। इंस्पेक्टर वहां पहुंचकर उसने एकनाथ गांभीर को कातिल बताया। जिसे सुनकर जनार्दन को बहुत दुख हुआ। पुलिस थाने में अपर्णा इंस्पेक्टर को सुसाइड का राज बताती है। पुरानी फाइलों को खोजने पर एक निष्कर्ष निकला कि सबकी लाश मिली लेकिन माधव व राघव की लाश नहीं मिली। खोजबीन के बाद शक माधव पर निकलता दिखाई पड़ा। 


सभी बातों का खुलासा


विक्रांत फकरुको लॉरेंस पिंटो के पास ले जाने को बोलता है। वहां पर जाकर पता चलता है कि मास्टर जानकी के बारे में। इस बीच पिंटो बहाना बनाकर भाग जाता है। इंस्पेक्टर उसके घर के अंदर जाता है तो एक सीढी मिलती है जो दलदल में जाती है। फकरु बताता है कि यहां से नीचे एक नदी है जिससे होकर एकनाथ मंदिर जाया जा सकता है। इंस्पेक्टर वहां जाने को कहता है। नाव से इंस्पेक्टर और उसकी बेटी फकरु के साथ मंदिर पहुंचते हैं। फकरु नीचे ही रहता है। मंदिर में जाने पर इंस्पेक्टर को एक बच्चों की गुड़ियों का संग्रह दिखता है। जहां पर उसकी बेटी की लाश मिलती है। मरने से पहले जो उसने मुखौटा पहन रखा होता है वह भी मिलती है। फिर उस पर माधव व राधव का हमला होता है। फिर सभी बातों का खुलासा होता है। माधव मास्टर पिंटो और राघव संजू होता है। दोनो मिलकर उन सभी को मारने की बात बोलते हैं। अंत में अपर्णा और मुन्ना को बचाने के लिए इंस्पेक्टर दोनों मारता है और फिर वह अपने काम मुंबई को चला जाता है। 


समीक्षा:


फिल्म में अंत में यह देखने का मजा बहुत ही दिलचस्प है। किस तरह से दानों कातिलों को मारा जाता है और सच्चाई पता चलती है। वैसे पूरी फिल्म में हर समय एक रहस्य का वातावरण बना रहता है जिसे देखने में रोमांच आता है। 

नोट: फिल्म रिव्यू, एल्बम रिव्यू के लिए संपर्क करें:akhilsristypriya@gmail.com



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